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प्राचीन भारत के पुरातात्विक स्त्रोत 'वेद'– ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद

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वेद

वेदों से प्राचीन आर्यों के सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं राजनीतिक जीवन के विषय में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। वेद भारत की प्राचीन संस्कृति के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। वेदों की कुल संख्या चार है। इन चारों वेदों को 'संहिता' कहा जाता है। ये वेद निम्नलिखित हैं–
1. ऋग्वेद
2. यजुर्वेद
3. सामवेद
4. अथर्ववेद।

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ऋग्वेद

यह सबसे प्राचीनतम वेद है। इसकी तिथि 1500 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व के मध्य तय की गई है। यह वेद ऋचाओं से बद्ध है। इसमें कुल 10 मण्डल, 1028 सूक्त और 10,580 ऋचाएँ हैं। इस वेद में पहला और दसवाँ मण्डल सबसे बाद में जोड़ा गया है। इसके तीसरे मण्डल में प्रसिद्ध गायत्री मन्त्र का उल्लेख है। यह मन्त्र सूर्य देवता 'सविता' को समर्पित है। नौवें मण्डल में सोम देवता के विषय में जानकारी दी गई है। दशवें मण्डल में चार्तुवर्ण्य समाज की संकल्पना दी गई है। ऋग्वेद के मन्त्रों का अध्ययन करने वाले ऋषि को 'होतृ' कहा जाता है। इस वेद के दो प्रमुख ब्राह्मण ग्रंथ ऐतरेय और कौषितकी (शंखायन) हैं। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने ऋग्वेद को विश्व मानव धरोहर के साहित्य में सम्मिलित किया है।

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यजुर्वेद

इस वेद में यज्ञों के नियमों (विधानों) का उल्लेख है, इसलिए इस वेद को 'कर्मकाण्डीय वेद' भी कहते हैं। यह वेद पद्य एवं गद्य दोनों रूपों में हैं। इस वेद के दो प्रमुख भाग शुक्ल यजुर्वेद और कृष्ण यजुर्वेद हैं। शुक्ल यजुर्वेद केवल पद्य में हैं, जबकि कृष्ण यजुर्वेद पद्य एवं गद्य दोनों में है। यजुर्वेद का अध्ययन करने वाले पुरोहित को 'अध्वर्यु' कहा जाता है। इस वेद के दो प्रमुख ब्राह्मण ग्रंथ शतपथ और तैत्तिरीय हैं। इस वेद के प्रमुख उपनिषद कठोपनिषद, इशोपनिषद, श्वेताश्वरोपनिषद और मैत्रायणी उपनिषद हैं। यजुर्वेद का अन्तिम अध्याय ईशावास्य उपनिषद है। यह अध्याय आध्यात्मिक चिन्तन से सम्बन्धित है।

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सामवेद

'साम' का शाब्दिक अर्थ 'गान' होता है। सामवेद में यज्ञों के अवसर पर गाये जाने वाले मंत्रों का संकलन है। इस वेद को भारतीय संगीत का जनक कहते हैं। सात स्वरों– सा, रे, ग, म, प, ध और नि की उत्पत्ति इसी वेद से हुई है। इस वेद में कुल 1875 ऋचाएँ हैं। इस वेद में मुख्य रूप से सूर्य स्तुति के मंत्र हैं। इन मंत्रों को गाने वाले विद्वान को 'उद्गाता' कहा जाता है। सामवेद के प्रमुख उपनिषद छांदोग्य और जैमिनीय हैं। इस वेद के प्रमुख ब्राह्मण ग्रन्थ पञ्चविश और षडविश हैं।

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अथर्ववेद

अथर्व वेद की रचना अथर्व और अंगिरस ऋषि द्वारा की गई थी। अतः इस वेद को 'अथर्वांगिरस वेद' भी कहते हैं। इस वेद की रचना सभी ग्रंथों के बाद की गई थी। इस वेद में सभा और समिति को प्रजापति की दो पुत्रियाँ बताया गया है। इस वेद में कुल 731 सूक्त, 20 अध्याय और 6000 मन्त्र हैं। इस वेद में ब्रह्म ज्ञान, धर्म, औषधि प्रयोग, रोग निवारण, जादू-टोना, तन्त्र-मन्त्र, समाजनिष्ठा आदि महत्वपूर्ण विषयों का उल्लेख है। इस वेद का एकमात्र ब्राह्मण ग्रंथ 'गोपथ' है। इस वेद के प्रमुख उपनिषद मुण्डकोपनिषद, प्रश्नोपनिषद, माण्डूक्योपनिषद हैं। भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य 'सत्यमेव जयते' मुण्डकोपनिषद से लिया गया है।

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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfcompetiton.com

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