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एटग्रेड अभ्यास पुस्तिका (विज्ञान) | कक्षा 08 || अध्याय 1 और 2

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अध्याय 01 फसल उत्पादन एवं प्रबंध

प्रश्न– फसल को कितने वर्गों में बाँटा गया है? प्रत्येक वर्ग के दो-दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर– फसलों को निम्नलिखित दो वर्गों में बाँटा गया है–
1. खरीफ फ़सल– इन फसलों को वर्षा ऋतु में बोया जाता है। भारत में वर्षा ऋतु सामान्यतः जून से सितम्बर तक होती है। धान, मक्का, मूँगफ़ली, सोयाबीन, कपास आदि खरीद फसलें हैं।
2. रबी फ़सल– यह फसलें शीत ऋतु में उगाई जाती हैं। भारत में शीत ऋतु सामान्यतः अक्टूबर से मार्च तक होती है। गेहूँ, चना, मटर, सरसों, कलसी आदि रबी फसलें हैं।

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एटग्रेड अभ्यास पुस्तिका (हिन्दी) | कक्षा - 08 || पाठ 01 और 02

प्रश्न– मिट्टी में रहने वाले केंचुए और सूक्ष्मजीवों को किसानों का मित्र क्यों कहा गया है?
उत्तर– फसल उगाने से पहले मिट्टी को तैयार किया जाता है। इसके लिए मिट्टी को पलटना और पोला बनाना आवश्यक होता है। पोली मिट्टी होने पर पौधे की जड़ें आसानी से श्वसन कर सकती हैं। केंचुए और सूक्ष्मजीव मिट्टी को पोली बनाने में सहायता करते हैं। साथ ही ये ह्यूमस का भी निर्माण भी करते हैं। इससे मिट्टी और अधिक उपजाऊ बन जाती है। इसीलिए सूक्ष्मजीवों और केंचुए को किसानों का मित्र कहा गया है।

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प्रश्न– सीड-ड्रिल यंत्र द्वारा बुआई करने से क्या-क्या लाभ हैं?
उत्तर– आजकल बुआई के लिए ट्रैक्टर द्वारा संचालित सीड-ड्रिल का उपयोग होता है। इसके द्वारा बीजों में समान दूरी एवं गहराई बनी रहती है। यह सुनिश्चित करता है कि बुआई के बाद बीज मिट्टी द्वारा ढक जाए। इससे बीजों को पक्षियों द्वारा खाए जाने से रोका जा सकता है। सीड-ड्रिल द्वारा बुआई करने से समय एवं श्रम दोनों की ही बचत होती है।

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प्रश्न– खाद देने से फसलों को क्या-क्या लाभ होते हैं?
उत्तर– खाद देने से फसलों को निम्नलिखित लाभ होते हैं–
1. इससे मिट्टी की जलधारण क्षमता में वृद्धि होती है।
2. इससे मिट्टी भुरभुरी एवं सरंध्र हो जाती है जिसके कारण गैस विनिमय सरलता से होता है।
3. इससे मित्र जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है।
4. खाद से मिट्टी का गठन सुधर जाता है।

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प्रश्न– उर्वरक और खाद में क्या अंतर है? लिखिए।
उत्तर– उर्वरक और खाद में निम्नलिखित अन्तर है–
1. उर्वरक एक मानव निर्मित लवण है। खाद एक प्राकृतिक पदार्थ है जो गोबर एवं पौधों के अवशेष के विघटन से प्राप्त होता है।
2. उर्वरक का उत्पादन फैक्ट्रियों में होता है। खाद खेतों में बनाई जा सकती है।
3. उर्वरक से मिट्टी को ह्यूमस प्राप्त नहीं होता। खाद से मिट्टी को प्रचुर मात्रा में ह्यूमस प्राप्त होता है।
4. उर्वरक में पादप पोषक, जैसे कि नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटेशियम प्रचुरता में होते हैं। खाद में पोषक तत्व तुलनात्मक रूप से कम होते हैं।

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अध्याय 02 सूक्ष्मजीव मित्र एवं शत्रु

प्रश्न– जन्तुओं तथा पौधों में सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाले रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर– जन्तुओं तथा पौधों में सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाले रोग निम्नलिखित हैं–
जन्तुओं में होने वाले रोग– क्षयरोग, खसरा, चिकनपॉक्स, पोलियो, हैजा, टाइफायड, हैपेटाइटिस-ए, मलेरिया।
पादपों में होने वाले रोग– नींबू कैंकर, गेहूँ की रस्ट, भिंडी की पीत।

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प्रश्न– प्रतिजैविक का उपयोग करते समय हमें क्या-क्या सावधानियाँ रखना चाहिए?
उत्तर– डॉक्टर की सलाह पर ही प्रतिजैविक की दवाएँ लेनी चाहिए तथा उस दवा का कोर्स भी पूरा करना चाहिए। यदि आप प्रतिजैविक उस समय लेंगे जब उसकी आवश्यकता नहीं है तो अगली बार जब आप बीमार होंगे और आपको प्रतिजैविक की आवश्यकता होगी तो वह उतनी प्रभावी नहीं होगी। इसके अतिरिक्त अनावश्यक रूप से ली गई प्रतिजैविक शरीर में उपस्थित उपयोगी जीवाणु भी नष्ट कर देती है। अतः हमें प्रतिजैविक का उपयोग सावधानी से करना चाहिए। सर्दी-जुकाम एवं फ्लू में प्रतिजैविक प्रभावशाली नहीं हैं क्योंकि यह रोग विषाणु द्वारा होते हैं।

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प्रश्न– मित्रवत सूक्ष्मजीव क्या होते हैं? ये हमारे लिए क्यों उपयोगी हैं?
उत्तर– वे सूक्ष्मजीव जिनके कार्यों से मनुष्य को लाभ मिलता है, मित्रवत सूक्ष्मजीव कहलाते हैं। सूक्ष्मजीव विभिन्न कार्यों में उपयोग किए जाते हैं। इनका उपयोग दही, ब्रेड एवं केक बनाने में किया जाता है। प्राचीन काल से ही सूक्ष्मजीवों का उपयोग एल्कोहल बनाने में किया जाता रहा है। पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए भी इनका उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, कार्बनिक अवशिष्ट (सब्जियों के छिलके, जंतु अवशेष, विष्ठा इत्यादि) का अपघटन जीवाणुओं द्वारा किया जाता है तथा हानिरहित पदार्थ बनते हैं। स्मरण कीजिए, जीवाणुओं का उपयोग औषधि उत्पादन एवं कृषि में मृदा की उर्वरता में वृद्धि करने में किया जाता है जिससे नाइट्रोजन स्थिरीकरण होता है।

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प्रश्न– वैक्सीन (टीका) हमारे शरीर में किस प्रकार कार्य करते है?
उत्तर– जब रोगकारक सूक्ष्मजीव हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तो उनसे लड़ने के लिए हमारा शरीर प्रतिरक्षी उत्पन्न करता है। शरीर को यह भी स्मरण रहता है कि वही सूक्ष्मजीव अगर हमारे शरीर में पुनः प्रवेश करता है तो उससे किस प्रकार लड़ा जाए। अतः यदि मृत अथवा निष्क्रिय सूक्ष्मजीवों को स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रविष्ट कराया जाए तो शरीर की कोशिकाएँ उसी के अनुसार लड़ने के प्रतिरक्षी उत्पन्न करके रोगकारक को नष्ट कर देती हैं। यह प्रतिरक्षी हमारे शरीर में सदा के लिए बनी रहती हैं तथा रोगकारक सूक्ष्मजीव से आगे सदा के लिए सुरक्षा होती है। इस प्रकार टीका (वैक्सीन) कार्य करता है। हैजा, क्षय, चेचक तथा हैपेटाइटिस जैसी अनेक बीमारियों को वैक्सीन (टीके) द्वारा रोका जा सकता है।

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प्रश्न– साधारण नमक को किस प्रकार परिरक्षक के रूप में उपयोग करते हैं?
उत्तर– नमक एवं खाद्य तेल का उपयोग सूक्ष्मजीवों की वृद्धि रोकने के लिए सामान्य रूप से किया जाता है। अतः इन्हें परिरक्षक कहते हैं। हम नमक अथवा खाद्य अम्ल का प्रयोग अचार बनाने में करते हैं जिससे सूक्ष्मजीवों की वृद्धि नहीं होती। सोडियम बेंजोएट तथा सोडियम मेटाबाइसल्फाइट सामान्य परिरक्षक हैं। जैम एवं स्क्वैश बनाने में इन रसायनों का उपयोग उन्हें संदूषित होने से बचाता है।

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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfcompetiton.com

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