s
By: RF competition   Copy   Share  (385) 

एहि घाटतें थोरिक दूरि अहै– गोस्वामी तुलसीदास

2067

केवट प्रसंग

एहि घाटतें थोरिक दूरि अहै कटि लौं जलु, थाह देखाइहौं जू।
परसें पगधूरि तरै तरनी, घरनी घर क्यों समुझाइहौं जू।।
तुलसी अवलंबु न और कछू, लरिका केहि भाँति जिआइहौं जू।
बरु मारिए मोहि, बिना पग धोएँ हौं नाथ न नाव चढ़ाइहौं जू।।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
नाम अजामिल-से खल कोटि – गोस्वामी तुलसीदास

शब्दार्थ

कटि लौं- कमर तक, परसें- स्पर्श से, पगधूरि- पैरों की धूल, तरै तरनी- नाव के स्वरूप में बदलाव, मोहि- मुझे।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
यह तन काँचा कुम्भ है – कबीर दास

सन्दर्भ

प्रस्तुत पद्यांश 'केवट प्रसंग' नामक शीर्षक से लिया गया है। इसकी रचना 'गोस्वामी तुलसीदास' ने की है।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
कबीर दास का जीवन परिचय एवं काव्यगत विशेषताएँ

प्रसंग

प्रस्तुत पद में केवट भगवान श्री राम के चरण कमलों को धोए बिना, उन्हें नाव पर बैठाने के लिए तैयार नहीं हो रहा है।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
यह संसार क्षणभंगुर है – जैनेन्द्र कुमार

व्याख्या

केवट भगवान श्रीराम से कहता है कि नदी में कमर तक जल है। मैं आपको घाट से लेकर चलूँगा और थाह लगाते हुए नदी पार करा दूँगा, किन्तु मैं आपको नाव में नहीं बैठा पाऊँगा। आपके चरण कमलों की धूल का स्पर्श पाते ही मेरी नाव का स्वरूप परिवर्तित हो सकता है। यदि आपके नाव में बैठने से इसका स्वरूप परिवर्तित हो गया, तो मैं अपनी पत्नी को क्या उत्तर दूँगा। तुलसीदास जी के अनुसार, केवट भगवान श्रीराम से कहता है कि मेरे पास जीवन यापन का कोई और साधन नहीं है। यदि मेरी रोजी-रोटी छिन जाए तो मैं अपने बच्चों का पालन-पोषण किस प्रकार करुँगा। यदि आप चाहें तो मुझे दण्ड दे सकते हैं, किन्तु हे प्रभु! मैं बिना चरणों को धोए आपको नाव में नहीं बैठा पाऊँगा।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
माटी कहै कुम्हार से – कबीर दास

काव्य-सौन्दर्य

प्रस्तुत पद से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं–
1. अवधी भाषा का प्रयोग किया गया है।
2. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है।
3. प्रस्तुत पद में सामाजिक समरसता के भाव स्पष्ट दिखाई देते हैं।
4. केवट की जिद का मनमोहक प्रस्तुतीकरण किया गया है।
5. पौराणिक गाथाओं से सम्बद्ध पद है।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
उपन्यास क्या है? | उपन्यास का इतिहास एवं प्रमुख उपन्यासकार

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. गोस्वामी तुलसीदास– जीवन परिचय एवं काव्यगत विशेषताएँ
2. नाटक क्या है? | नाटक का इतिहास एवं प्रमुख नाटककार
3. सूरदास का जीवन परिचय एवं काव्यगत विशेषताएँ
4. जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय एवं काव्यगत विशेषताएँ
5. एकांकी क्या है? | एकांकी का इतिहास एवं प्रमुख एकांकीकार

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. आए हौ सिखावन कौं जोग मथुरा तैं तोपै– जगन्नाथ दास 'रत्नाकर'
2. जो पूर्व में हमको अशिक्षित या असभ्य बता रहे– मैथिलीशरण गुप्त
3. जो जल बाढ़ै नाव में– कबीरदास
4. देखो मालिन, मुझे न तोड़ो– शिवमंगल सिंह 'सुमन'
5. शब्द सम्हारे बोलिये– कबीरदास



I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfcompetiton.com

Comments

POST YOUR COMMENT

Categories

Subcribe