वे शब्द जो संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, 'विशेषण' कहलाते हैं। अर्थात् वे शब्द जो किसी व्यक्ति अथवा वस्तु की क्रिया, गुण, दोष, स्थिति आदि का बोध कराते हैं, 'विशेषण' कहलाते हैं। वाक्य में जिस व्यक्ति अथवा वस्तु की विशेषता बतायी जाती है, उसे 'विशेष्य' कहते हैं।
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संयुक्त सर्वनाम क्या होते हैं?
हिन्दी व्याकरण में विशेषण मुख्य रूप से छः प्रकार के होते हैं–
1. गुणवाचक विशेषण
2. संकेतवाचक (सार्वनामिक) विशेषण
3. संख्यावाचक विशेषण
4. परिमाणवाचक विशेषण
5. व्यक्तिवाचक विशेषण
6. विभागवाचक विशेषण।
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सम्बन्धवाचक सर्वनाम और प्रश्नवाचक सर्वनाम क्या होते हैं?
हिन्दी व्याकरण के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं–
1. हिन्दी व्याकरण में कारक चिह्नों के साथ विशेषण का प्रयोग नहीं किया जाता।
2. विशेषण के कारण कुछ वाक्यों में 'अकारांत' शब्दों के स्थान पर ईकारान्त कर दिया जाता है।
3. कुछ शब्दों में प्रत्यय जोड़कर विशेषण बनाये जाते हैं। उदाहरण के लिए दिन से दैनिक।
4. विशेषण शब्दों के लिंग, वचन और कारक उनके विशेष्य के अनुसार ही होते हैं।
5. सम्बन्धी, कारक, रूपी, शाली, जनक, प्रद, हीन, सा आदि प्रत्यय शब्दों को जोड़कर विशेषण बनाये जाते हैं।
जैसे– यश से यशरूपी, कीर्ति से कीर्तिशाली, अपमान से अपमानजनक, हानि से हानिकारक, विषय से विषयसम्बन्धी, सन्तोष से सन्तोषजनक, लाभ से लाभप्रद आदि।
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निश्चयवाचक सर्वनाम और अनिश्चयवाचक सर्वनाम क्या होते हैं?
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
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