वे सर्वनाम शब्द, जो पुरुषों के नाम के स्थान पर आते हैं, 'पुरुषवाचक सर्वनाम' कहलाते हैं। यहाँ पर 'पुरुष' शब्द से तात्पर्य स्त्री और पुरुष दोनों से है। एक अन्य परिभाषा के अनुसार, "यदि कोई सर्वनाम शब्द कहने वाले, सुनने वाले अथवा जिसके बारे में कुछ कहा जा रहा है, उसके लिए आए, तो उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहा जाता है।"
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हिन्दी व्याकरण में पुरूषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते हैं–
1. उत्तमपुरूष
2. मध्यमपुरूष
3. अन्यपुरूष।
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उत्तमपुरुष कहने वाले अर्थात् वक्ता के लिए आता है। इसके अलावा इस पुरुष का प्रयोग लेखक के लिए भी किया जाता है।
उदाहरण– मैं, हम, हमें, मुझसे, मेरा आदि।
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संज्ञा क्या है? | संज्ञा के प्रकार– व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, द्रव्यवाचक, समूहवाचक, भाववाचक
उत्तमपुरुष सुनने वाले अर्थात् श्रोता के लिए आता है। इसके अतिरिक्त इस पुरुष का प्रयोग पढ़ने वाले अर्थात् पाठक के लिए भी किया जाता है।
उदाहरण– तू, तुम, आप, तुझसे, तुम्हें, तुम्हारा, तुम में, आपका आदि।
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अन्य पुरुष उन व्यक्तियों या वस्तुओं के लिए आता है, जिनके बारे में बात की जाती है। इस पुरुष के अंतर्गत वक्ता और श्रोता को छोड़कर अन्य व्यक्ति आते हैं।
उदाहरण– वह, वे, यह, ये, उनसे, उनका, उनमें, उन पर आदि।
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अलंकार – ब्याज-स्तुति, ब्याज-निन्दा, विशेषोक्ति, पुनरुक्ति प्रकाश, मानवीकरण, यमक, श्लेष
उत्तमपुरूष, मध्यमपुरूष और अन्यपुरूष को इस वाक्य के द्वारा समझा जा सकता है– "अभिलाषा ने राधा से पूछा कि, सोहन कहाँ है?"
उपरोक्त वाक्य में,
उत्तमपुरूष– अभिलाषा
मध्यमपुरूष– राधा
अन्यपुरूष– सोहन।
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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
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