भारतेंदु युग को आधुनिक हिंदी साहित्य के इतिहास का प्रथम युग माना जाता है। इस युग में कवियों ने नवीन तथ्यों का प्रयोग कर रचनाएँ करने में विशेष रूचि ली। साथ ही उन्होंने प्राचीन तथ्यों का भी प्रयोग किया। भारतेंदु युग नवजागरण का युग है। इस युग में नवीन सामाजिक चेतना उभर कर आयी। भारतेंदु युग में देशभक्ति एवं राजभक्ति राजनीति की अभिन्न अंग थे। इसका स्पष्ट प्रभाव इस युग के कवियों की रचनाओं में देखा जा सकता है। इस युग में कवियों ने कविताओं की रचनाएँ करने के लिए ब्रज भाषा का प्रयोग किया। इसके अलावा गद्य रचना के लिए खड़ी बोली का प्रयोग किया गया। भारतेंदु युग में खड़ी बोली अपने विकास के चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई थी। इस युग में गद्य को विशेष महत्व प्राप्त हुआ। परिणामस्वरूप पत्रकारिता, उपन्यास, कहानी, नाटक, आलोचना, निबंध आदि कई गद्य विधाओं का विकास हुआ। इन सभी विधाओं का माध्यम खड़ी बोली ही है। इस युग का प्रत्येक लेखक किसी न किसी पत्रिका का संपादन करता था। भारतेंदु युग के साहित्य रूपों एवं प्रवृत्तियों का स्पष्ट प्रभाव द्विवेदी युग में देखा सकता है। भारतेंदु युग के साहित्य का अनुसरण करके ही द्विवेदी युग का विकास हुआ।
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भज मन चरण कँवल अविनासी– मीराबाई
भारतेंदु युगीन काव्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं–
1. राष्ट्र के प्रति समर्पित भाव– इस युग के कवियों ने अपनी रचनाओं में राष्ट्र के प्रति समर्पित भाव व्यक्त किया। इस युग में कवियों ने देश-प्रेम की भावनाओं से ओत-प्रोत रचनाएँ कीं। इसके माध्यम से कवियों ने जन-मानस में राष्ट्रीयता की भावना का बीजारोपण किया।
2. जन-मानस में सामाजिक चेतना का विकास– इस काल की कविताओं में सामाजिक चेतना का भाव स्पष्ट दिखाई देता है। इस युग के कवियों ने समाज में व्याप्त अंधविश्वास और सामाजिक रूढ़ियों को दूर करने के लिए कविताओं की रचनाएँ कीं।
3. हास्य व्यंग्य का प्रयोग– भारतेंदु युग में कवियों ने हास्य व्यंग्य शैली का प्रयोग कर रचनाएँ कीं। उन्होंने इस शैली को माध्यम बनाकर पश्चिमी सभ्यता, विदेशी शासन तथा सामाजिक अंधविश्वासों पर तीखे व्यंग्यों से प्रहार किये।
4. काव्य के विविध रूपों का प्रयोग– इस युग में कवियों ने काव्य के विभिन्न रूपों का प्रयोग कर रचनाएँ कीं। मुक्तक काव्य और प्रबंध काव्य इस युग के प्रमुख काव्य हैं।
5. अंग्रेजी शिक्षा का विरोध– इस युग में कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से अंग्रेजी भाषा और अंग्रेजी शिक्षा के प्रचार-प्रसार के प्रति विरोध प्रदर्शित किया।
6. काव्य के अनुवाद की परंपरा– इस युग में कवियों ने मौलिक लेखन के अलावा संस्कृत और अंग्रेजी से हिंदी में काव्यों का अनुवाद भी किया।
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छावते कुटीर कहूँ रम्य जमुना कै तीर– जगन्नाथ दास 'रत्नाकर'
भारतेन्दु युग के महत्वपूर्ण कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं–
1. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र– प्रेम फुलवारी, प्रेम सरोवर, वेणु गीति, प्रेम मल्लिका।
2. प्रताप नारायण मिश्र– श्रृंगार विलास, प्रेम पुष्पावली, मन की लहर।
3. बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन– आनन्द अरुणोदय, जीर्ण जनपद, लालित्य लहरी।
4. जगमोहन सिंह– देवयानी, प्रेम सम्पत्ति लता, श्यामा सरोजिनी।
5. राधाचरण गोस्वामी– नवभक्त माल।
6. अम्बिका दत्त व्यास– भारत धर्म, हो हो होरी, पावस पचासा।
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शब्द सम्हारे बोलिये– कबीरदास
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R F Temre
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