s
By: RF Competition   Copy   Share  (155) 

कबीर कुसंग न कीजिये– कबीरदास

2133

"अमृतवाणी"

कबीर कुसंग न कीजिये, पाथर जल न तिराय।
कदली सीप भुजंग मुख, एक बूँद तिर भाय।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
कबीर संगति साधु की– कबीर दास

संदर्भ

प्रस्तुत पद 'अमृतवाणी' नामक शीर्षक से लिया गया है। इसकी रचना 'कबीरदास जी' ने की है।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
हिंदी पद्य साहित्य का इतिहास– आधुनिक काल

प्रसंग

प्रस्तुत पद में कबीर ने बुरे लोगों की संगति से बचने की सलाह दी है।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
सुनि सुनि ऊधव की अकह कहानी कान– जगन्नाथ दास 'रत्नाकर'

महत्वपूर्ण शब्द

कुसंग- बुरा साथ, पाथर- पत्थर, तिराय- तैरता है, कदली- केला, भुजंग- साँप, तिर- तीन, भाय- भाव

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
भेजे मनभावन के उद्धव के आवन की– जगन्नाथ दास 'रत्नाकर'

व्याख्या

कबीरदास जी कहते हैं कि हमें कुसंग नहीं करना चाहिए और अच्छे लोगों की संगति करना चाहिए। इस प्रकार की सलाह देते हुए वे कहते हैं, कि हमें कुसंग से बचना चाहिए क्योंकि जल के ऊपर पत्थर नहीं तैरता। उदाहरण देते हुए कवि कहते हैं कि स्वाति नक्षत्र की एक बूँद केला, सेब और साँप के मुँह में गिरकर तीन भावों को ग्रहण कर लेती है। जब वह केले के मुँह में गिरती है, तो कपूर बन जाती है। जब वह सीप के मुँह में गिरती है, तो मोती बन जाती है। जब साँप के मुँह में गिरती है, तो ज़हर (विष) बन जाती है। अर्थात् मनुष्य जिस प्रकार की संगति में रहेगा, वह वैसा ही बन जाएगा।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
सखी री लाज बैरन भई– मीराबाई

काव्य-सौन्दर्य

इस पद से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं–
1. प्रस्तुत पद में सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग किया गया है।
2. अनुप्रास एवं दृष्टांत अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग किया गया है।
3. यह पद दोहा छंद का अनूठा उदाहरण है।
4. सत्संगति का महत्व बताया गया है।

हिन्दी के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।
आचार्य केशवदास– कवि परिचय

आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com



I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfcompetiton.com

Comments

POST YOUR COMMENT

Categories

Subcribe